Tuesday 24 May 2011

आशावादी बनिए पलायनवादी नहीं



 ( लेखिका- विनीता तिवारी )
आशावाद जीवन    में सकारात्मकता का प्रसार करता है लेकिन कोरा आशावाद आपको पलायनवादी भी बना सकता है। अतः यह जरूरी है कि आप आशावादी तो बनें लेकिन यथार्थवाद तथा कर्मठता की जमीन पर खड़े होकर।

'जो होता है भले के लिए ही होता है' या 'धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा', इसी तरह के अनेक वाक्य आपने सुने होंगे पर यह एक आशावादी दृष्टिकोण नहीं कहा जा सकता। आपने देखा या सुना होगा कि लंबी-लंबी टाँगों वाले शुतुरमुर्ग को जब कोई दुश्मन खदेड़ता है तो वह उससे बचने के लिए अपना सिर जमीन खोदकर मिट्टी में धँसा देता है। ऐसा करके वह आश्वस्त हो जाता है कि अब दुश्मन उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता और वह पूर्णतः सुरक्षित है। कोरे आशावादी व्यक्ति का नजरिया भी काफी कुछ ऐसा ही होता है। इसे शायद आशावादी भी नहीं बल्कि पलायनवादी कहेंगे।

जिंदगी को सफल ढंग से जीने के लिए हमें आशावादी होने के साथ व्यावहारिक एवं यथार्थवादी भी होना पड़ेगा। जो व्यवहारकुशल होगा, वह यह अच्छी तरह जानेगा कि इस दुनिया में दुख, कठिनाई, अवसाद आदि सच्चाई है। यहाँ कभी खुशी है, कभी गम। इस किस्म के आशावादी अपनी असफलताओं को भी स्वीकारते हैं। जब एक रास्ता बंद हो जाता है, तो वे दूसरा रास्ता अतिशीघ्र खोज लेते हैं।
जीवन के प्रति हम सभी इसी तरह का रवैया अपना सकते हैं। कुछ सुझाव आपको एक दृढ़, सक्षम, आशावादी बनाने में कारगर साबित होंगे।
दूरदर्शी बनें : 'धीरे-धीरे समय सब ठीक कर देगा' जैसी धारणा लेकर चलना ठीक नहीं है। जो लोग सिर्फ आशावादी होते हैं, वे प्रायः जीवन में आने वाली समस्याओं से अनजान बने रहते हैं। इसीलिए उनमें दूरदर्शिता का अभाव होता है। अतः आप जब भी कोई निर्णय लें, परिस्थितियों को अवश्य जान लें। यह सोच लें कि आपको कार्य करने में कौन-सी बाधाएँ आएँगी तथा उनसे कैसा निपटा जा सकता है। किसी कार्य को करने के लिए अनेक विकल्प मन में पहले ही सोच लें। यदि एक उपाय विफल होता है तो दूसरा तरीका अपनाएँ।

प्रयत्न जारी रखें : सच्चे आशावादी कोशिशों से कभी जी नहीं चुराते। नित नई जानकारी लो, सीखो, काम में अरुचि पैदा मत होने दो, नहीं तो जीवन रसहीन और बेमजा लगने लगता है और निराशा बढ़ने लगती है।
जो लोग जिंदगी की तमाम परेशानियों के बीच भी स्व-उत्थान के लिए समय निकाल लेते हैं, उनका जीवन खुशहाल होता है। कुछ न कुछ सीखने की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए जैसे कविता, कहानी, लेख लिखें, पेंटिंग करें, स्वीमिंग करें, बागवानी करें, कोई समाजसेवी संस्था ज्वॉइन करें।

प्रेरणादायक व्यक्तियों से नाता जोड़ें : अपना अधिकांश समय आशावादी व्यक्तियों के साथ बिताएँ। ऐसे मित्र हमें हमारी खूबियों से परिचित कराते हैं। एक सशक्त आशावादी व्यक्ति बनकर आप अपने निराशावादी मित्रों को भी इस गर्त से निकाल सकते हैं।

आध्यात्मिक पहलू पर भी बल दें : अपने जीवन में आध्यात्मिकता को भी बराबर का स्थान प्रदान करें। उच्च कोटि का साहित्य पढ़ें। कुछ समय चिंतन, मनन, ध्यान को दें। अध्यात्म वास्तव में आत्म ज्ञान ही है, वह व्यक्ति को अधिक उत्साही और आशावादी बनाता है।

दिनचर्या में भी परिवर्तन करें : परिवर्तन से जिंदगी और संबंधों दोनों में ताजगी बनी रहती है। नए लोगों से मिलें, किसी होटल में खाना खाएँ, आसपास घूम आएँ, नई पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ें, योजना बनाएँ पर यथार्थ के धरातल पर। कुछ रातें देर तक जागें, कभी जल्दी भी बिस्तर छोड़ दें। दिमाग को तरोताजा रखने के लिए परिवर्तन जरूरी है।

यदि आप कोरे आशावादी हैं तो इन सुझावों को अपनाकर देखिए। इनकी मदद से आप एक यथार्थवादी व कर्मठ आशावादी बन सकेंगे।

1 comment:

  1. एक अत्यंत उपयोगी आलेख। कोशिश करती हूँ इसको अपना सकूँ।
    आभार।

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