Monday, 16 May 2011

कहाँ वे कहाँ ये


चन्द्रशेखर,
तुम इस आज़ादी के लिए
अपना बलिदान दे गये,
भगतसिंह,
तुम यूँ ही अपनी जान दे गये।
देखो तुम्हारे खवाबों को इन्होंने
शीशे की तरह
चटका दिया है,
तुम जिस देश के लिए
फाँसी पर लटक गये
इन्होंने उस देश को
फाँसी पर लटका दिया है।


Saturday, 14 May 2011

परिभाषा - आप सहमत है इससे ???


.1.पत्नी :

वह स्त्री, जो शादी के बाद कुछ सालों में टोक-टोक कर आपकी सारी आदतें बदल दे और फिर कहे कि आप कितना बदल गए हैं।

2. अधिकारी :

वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।

3. नेता :

वह शख्स जो अपने देश के लिये आपकी जान की कुर्बानी देने को हमेशा तैयार रहता है।

4. पड़ोसी :

वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं।

5. विशेषज्ञ :

वह आदमी है जो कम से कम चीजों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानता है।

6. राय :

वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा.

7. ज्ञानी :

वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।

8. सभ्य व्यवहार :

मुंह बन्द करके जम्हाई लेना।

9. आमदनी :

जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।

10. राजनेता :

ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।

11. आशावादी :

वह शख्स है जो सिगरेट मांगने के पहले अपनी दियासलाई जला ले।

12. नयी साड़ी :

जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।

13. कूटनीतिज्ञ :

वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।

14. अनुभव :

भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम ।

15. अवसरवादी :

वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।

16. कंजूस :

वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।

17. अपराधी :

दुनिया के बाकी लोगों जैसा ही मनुष्य, सिवाय इसके कि वह पकड़ा गया है।

18. व्याख्यान :

सूचना को स्थानांतरित करने का एक तरीका जिसमें व्याख्याता की डायरी के नोट्स, विद्यार्थियों की डायरी में बिना किसी के दिमाग से गुजरे पहुंच जाते हैं।

19. कान्फ्रेन्स रूम :

वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।

20. श्रेष्ठ पुस्तक :

जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।

21. कार्यालय :

वह स्थान जहां आप घर के तनावों से मुक्ति पाकर विश्राम कर सकते हैं।

22. समिति :

ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।

Saturday, 7 May 2011

शक्ति और क्षमा ---रामधारी सिंह "दिनकर"


शक्ति और क्षमा

 
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या जो दंतहीन
...
...विषहीन, विनीत, सरल हो ।...

सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
जिसमें शक्ति विजय की ।

सहनशीलता, क्षमा, दया को
तभी पूजता जग है
बल का दर्प चमकता उसके
पीछे जब जगमग है.


        --रामधारी सिंह "दिनकर"

Thursday, 5 May 2011

माँ पर नहीं लिख सकता कविता

माँ पर नहीं लिख सकता कविता


माँ के लिए सम्भव नहीं होगी मुझसे कविता
अमर चिऊँटियों का एक दस्ता मेरे मस्तिष्क में रेंगता रहता है
माँ वहाँ हर रोज़ चुटकी-दो-चुटकी आटा डाल देती है
मैं जब भी सोचना शुरू करता हूँ
यह किस तरह होता होगा
घट्टी पीसने की आवाज़ मुझे घेरने लगती है
और मैं बैठे-बैठे दूसरी दुनिया में ऊँघने लगता हूँ
जब कोई भी माँ छिलके उतार कर
चने, मूँगफली या मटर के दाने नन्हीं हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर थरथराने लगते हैं
माँ ने हर चीज़ के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा, आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चन्द्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा
माँ पर नहीं लिख सकता कविता !

                                    --  चन्द्रकान्त देवताले

माँ तुम गंगाजल होती हो

माँ तुम गंगाजल होती हो

मेरी ही यादों में खोई
अक्सर तुम पागल होती हो

माँ तुम गंगा-जल होती हो !
माँ तुम गंगा-जल होती हो !

जीवन भर दुःख के पहाड़ पर
तुम पीती आँसू के सागर
फिर भी महकाती फूलों-सा
मन का सूना संवत्सर
जब-जब हम लय गति से भटकें
तब-तब तुम मादल होती हो ।

व्रत, उत्सव, मेले की गणना
कभी न तुम भूला करती हो
सम्बन्धों की डोर पकड कर
आजीवन झूला करती हो
तुम कार्तिक की धुली चाँदनी से
ज्यादा निर्मल होती हो ।

पल-पल जगती-सी आँखों में
मेरी ख़ातिर स्वप्न सजाती
अपनी उमर हमें देने को
मंदिर में घंटियाँ बजाती
जब-जब ये आँखें धुंधलाती
तब-तब तुम काजल होती हो ।

हम तो नहीं भगीरथ जैसे
कैसे सिर से कर्ज उतारें
तुम तो ख़ुद ही गंगाजल हो
तुमको हम किस जल से तारें ।
तुझ पर फूल चढ़ाएँ कैसे
तुम तो स्वयं कमल होती हो ।
                  -- जयकृष्ण राय तुषार

Wednesday, 4 May 2011

Important Health Tips:-


Important Health Tips:-


>Answer the phone by left ear.


>Dont take medicine with cold water.


>Dont have heavy meals after 5pm.


>Drink more water in morning, less at night.


>Best sleeping time is from 10pm to 4am.


>Dont lie down immediately after taking medicine.


>When battery is down to last bar, do not answer the phone as the radiation is 1000 times stro...

जिन्दगी की किताब


जिन्दगी तो सभी के लिए,
वही रंगीन किताब है।
फ़र्क है तो बस इतना कि,
कोई हर पन्ने को
दिल से पढ रहा है और,
कोई बस पन्ने पलट रहा है।

Tuesday, 3 May 2011

बचपन बेटी बनकर आया --सुभद्राकुमारी चौहान

मैं बचपन को बुला रही थी, बोल उठी बिटिया मेरी
नंदन-वन-सी फूल उठी यह छोटी-सी कुटिया मेरी
“माँ ओ!” कह कर बुला रही थी, मिट्टी खाकर आयी थी
कुछ मुँह में, कुछ लिये हाथ में मुझे खिलाने लाई थी
मैनें पूछा “ये क्या लाई?”, बोल उठी वह “माँ काओ”
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से, मैनें कहा “तुम ही खाओ”
पाया मैनें बचपन फिर से, बचपन बेटी बनकर आया
उसकी मंजुल-मूर्ती देखकर, मुझमें नव-जीवन आया...........

                                              --सुभद्राकुमारी चौहान

ज़माने नही आते

उडने दो परिँदो को अभी शौख फिज़ा में।।
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते।।
न रखना चिरागो को लकडी के मकानो में।।
अब तो पडोसी भी आग बुझाने नही आते।।

दोस्ती

जिंदगी मैं कुछ सपने सजा लेना,
वक़्त मैं कुछ अरमान जगा लेना,
हम आपकी राह से हर दर्द चुरा लेंगे,
आप जब चाहे हमारी दोस्ती को आजमा लेना...

Saturday, 9 April 2011

हर किसी को हम नहीं आजमाते

हर किसी को हम नहीं आजमाते !
हर किसी को हम नहीं सताते !!
सताते हैं तो सिर्फ दिल में रहने वालो को !
गैरों की तरफ तो हम नज़र भी नहीं उठाते !!

जमाने से नहीं तन्हाई से डरते हैं !

जमाने से नहीं तन्हाई से डरते हैं !
प्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैं !!
दिल में उमंग हैं आपसे मिलने की !
लेकिन मिलने के बाद जुदाई से डरते हैं !!

Wednesday, 9 March 2011

मंजिल

 एक कब्रिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा था -

"मंजिल  तो मेरी यही थी बस जिंदगी गुजर गयी यहाँ आते आते "