उडने दो परिँदो को अभी शौख फिज़ा में।।
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते।।
न रखना चिरागो को लकडी के मकानो में।।
अब तो पडोसी भी आग बुझाने नही आते।।
फिर लौट के बचपन के ज़माने नही आते।।
न रखना चिरागो को लकडी के मकानो में।।
अब तो पडोसी भी आग बुझाने नही आते।।
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
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