Wednesday, 4 May 2011
जिन्दगी की किताब
जिन्दगी तो सभी के लिए,
वही रंगीन किताब है।
फ़र्क है तो बस इतना कि,
कोई हर पन्ने को
दिल से पढ रहा है और,
कोई बस पन्ने पलट रहा है।
1 comment:
संजय भास्कर
20 May 2011 at 01:32
बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में
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