ज़ो सफ़र की शुरुआत करते है ,
वोही मंजिल को पार करते है,
एक बार चलने का होसला रखो मेरे यार,
आप जैसे मुसाफ़िरो का तो ,
रास्ते भी इन्तजार करते है !!! व्यक्ति जीवन में मनवांछित सफलता हासिल कर पाता है, जो आशावादी होता है। जब तक किसी व्यक्ति के मन में उम्मीद नहीं होगी, वह कोई काम नहीं कर सकता। आशावादी व्यक्तियों में रचनात्मकता, कार्य करने की क्षमता और शक्ति होती है।ऐसे लोग काम में निरंतर जुटे होने पर भी हरदम प्रसन्नचित्त रहते हैं, लेकिन निराशावादी व्यक्ति की निराशा उसकी संपूर्ण शक्ति और क्षमता को समाप्त कर देती है। वह कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। ऐसा व्यक्ति हर समय उदास और दु:खी रहता है और यही उसके प्रगति-पथ की सबसे बड़ी बाधा बन जाती है।
वोही मंजिल को पार करते है,
एक बार चलने का होसला रखो मेरे यार,
आप जैसे मुसाफ़िरो का तो ,
रास्ते भी इन्तजार करते है !!! व्यक्ति जीवन में मनवांछित सफलता हासिल कर पाता है, जो आशावादी होता है। जब तक किसी व्यक्ति के मन में उम्मीद नहीं होगी, वह कोई काम नहीं कर सकता। आशावादी व्यक्तियों में रचनात्मकता, कार्य करने की क्षमता और शक्ति होती है।ऐसे लोग काम में निरंतर जुटे होने पर भी हरदम प्रसन्नचित्त रहते हैं, लेकिन निराशावादी व्यक्ति की निराशा उसकी संपूर्ण शक्ति और क्षमता को समाप्त कर देती है। वह कभी प्रसन्न नहीं रह सकता। ऐसा व्यक्ति हर समय उदास और दु:खी रहता है और यही उसके प्रगति-पथ की सबसे बड़ी बाधा बन जाती है।
आशा जीवन में एक प्रकाशपुंज के समान है जो जीवन की उकताहट और उदासी को दूर करती है और मार्ग में आने वाली बाधाओं व संकटों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है। आशा ही जीवन को सरस व मधुर बनाती है।
दो व्यक्तियों को लें, जिनमें एक आशावादी और दूसरा निराशावादी हो। आप पाएंगे कि भले ही उनमें समान योग्यताएं हों, लेकिन आशावादी शख्स निराशावादी व्यक्ति की अपेक्षा अधिक काम कर सकता है। उसका शरीर सदैव स्वस्थ रहता है, जबकि निराशावादी व्यक्ति का शरीर चिंतित और चिड़चिड़ा रहने के कारण अस्वस्थ रहता है। उसका मन किसी काम में नहीं लगता। उसके शरीर रूपी मशीन के पुर्जे जल्दी ही घिस जाते हैं।
एक प्रसिद्ध विचारक का कहना था कि उसने अब तक जिन व्यक्तियों को सफल होते देखा, वे हमेशा प्रसन्नचित्त और आशावान रहा करते थे। किसी भी काम को करते समय उनके मुख पर आशावाद से भरी जो मुस्कान खेलती रहती थी, उसी के कारण वे अवसर का लाभ उठाते हुए सफलता प्राप्त करते गए। उन्होंने कठोरता को कठोर बनकर सहन किया और कोमलता के प्रति उनके अंतर में सदैव कोमलता ही रही।
दो व्यक्तियों को लें, जिनमें एक आशावादी और दूसरा निराशावादी हो। आप पाएंगे कि भले ही उनमें समान योग्यताएं हों, लेकिन आशावादी शख्स निराशावादी व्यक्ति की अपेक्षा अधिक काम कर सकता है। उसका शरीर सदैव स्वस्थ रहता है, जबकि निराशावादी व्यक्ति का शरीर चिंतित और चिड़चिड़ा रहने के कारण अस्वस्थ रहता है। उसका मन किसी काम में नहीं लगता। उसके शरीर रूपी मशीन के पुर्जे जल्दी ही घिस जाते हैं।
एक प्रसिद्ध विचारक का कहना था कि उसने अब तक जिन व्यक्तियों को सफल होते देखा, वे हमेशा प्रसन्नचित्त और आशावान रहा करते थे। किसी भी काम को करते समय उनके मुख पर आशावाद से भरी जो मुस्कान खेलती रहती थी, उसी के कारण वे अवसर का लाभ उठाते हुए सफलता प्राप्त करते गए। उन्होंने कठोरता को कठोर बनकर सहन किया और कोमलता के प्रति उनके अंतर में सदैव कोमलता ही रही।
bahot badhiya post hai aap ka
ReplyDeletebahot hi badhiya post hai hume hamesha asha wadi banana chahiye
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